जब भी बात फिल्ममेकिंग के द्रोणाचार्यों की आएगी तो रमेश सिप्पी का जिक्र जरूर किया जाएगा. रमेश वो फिल्म निर्देशक हैं जिन्हें हमेशा अपने ही बनाए कीर्तिमानों को तोड़ने की चुनौतियों का सामना करना पड़ा. 23 जनवरी 1947 को जन्मे रमेश सिप्पी ने ब्रिटिश भारत की थोड़ी झलक देखी हुई है. रमेश कराची में पैदा हुए थे. उनके पिता भी क्योंकि सिनेमा से जुड़े हुए थे इसलिए रमेश ने ये सब बचपन से सीखा.
रमेश 6 साल के थे जब वह पहली बार किसी फिल्म के सेट पर गए थे. ये फिल्म थी सजा. जहां तक बात उनके पहली बार फिल्म में काम करने की है तो रमेश ने महज 9 साल की उम्र में एक फिल्म में काम किया था. इस फिल्म का नाम था शहंशाह और इसमें उन्होंने अछला सचदेव के पिता का किरदार निभाया था. उन्होंने प्रोडक्शन को भी उतने ही करीने से संभाला जितनी सफाई से उन्होंने निर्देशन का काम किया.
1971 में आई फिल्म अंदाज में निर्देशक का काम करने से पहले रमेश 7 साल तक असिस्टेंट का काम करते रहे. उनकी दूसरी फिल्म थी सीता और गीता जिसमें हेमा मालिनी ने डबल रोल प्ले किया था. ये पहली फीमेल लीड मूवी थी और उस दौर में कोई ऐसी फिल्म बनाना बड़ी बात हुआ करती थी जिसमें कोई हीरो नहीं हो. कमाल की बात ये थी कि रमेश की ये फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थी.
साल 1975 में रिलीज हुई रमेश सिप्पी की वो फिल्म जो अगले काफी वक्त तक उनके खुद के लिए ही चुनौती बनी रही. फिल्म का नाम था शोले और चुनौती होती थी हर बार इस फिल्म से बेहतर दर्शकों को कुछ दिखाने की. क्योंकि शोले एक लैंडमार्क फिल्म थी इसिलए इसके बाद रमेश ने जो कुछ भी बनाया उसे उनकी इस लैंडमार्क फिल्म के साथ कंपेयर करके देखा गया. लिहाजा नतीजे या तो बेहतर होते थे या खराब.
कितना था शोले का बजट?
दुर्भाग्य से उनकी कोई भी फिल्म शोले का रिकॉर्ड नहीं तोड़ सकी. शोले हिंदी सिनेमा के इतिहास में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन चुकी थी. बता दें कि रमेश सिप्पी ने 1975 के दौर में शोले जैसी फिल्म बनाने में 3 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे. कमाल की बात ये भी थी कि इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ऐसा जादू दिखाया कि सभी हैरान रह गए. माना जाता है कि शोले की अब तक की कुल कमाई तकरीबन 24,88,64,00,000 रुपये हो चुकी है.
Source - Aaj Tak