13 Jan 2020

एक फैसले की वजह से रमेश सिप्पी ने बदल दिया था 'शोले' का क्लाइमेक्स, 44 साल बाद सामने आई सच्चाई


बॉलीवुड में 48 साल तक राज करने वाले मशहूर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर रमेश सिप्पी  ने बॉलीवुड में कई सुपरहिट फिल्में दी है जिसमें 'शोले', 'अंदाज', 'शान', 'सीता और गीता', 'शक्ति' शामिल हैं। इन सभी फिल्मों में सबसे ज्यादा चर्चा में शोले फिल्म रही। रमेश सिप्पी की इस फिल्म को रिलीज हुए 44 साल बीत चुके हैं। लेकिन क्या आपको पता है इस फिल्म का क्लाइमेक्स जो असल में दिखाया गया था वो नहीं था?


'शोले' को बॉलीवुड की आइकॉनिक फिल्म कहा जाता है। इसमें जय और वीरू की जोड़ी से लेकर ठाकुर और गब्बर के डायलॉग ने लोगों का दिल जीत लिया था, जिसे आज भी लोग दोहराते हैं। इस फिल्म से जुड़ा हाल ही में एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसे जानकर आपको बिल्कुल भी यकीन नहीं होगा। 

'शोले' फिल्म के आखिरी सीन में दिखाया गया है कि ठाकुर गब्बर को मारने की कोशिश करता है लेकिन पुलिस आकर उन्हें ऐसा करने से रोक देती है। बहुत ही कम लोग इस बात को जानते हैं कि फिल्म का आखिरी सीन जो दिखाया गया है वह पहले नहीं था। फिल्म के आखिरी सीन को रिलीज से कुछ दिन पहले ही बदला गया था, यानी कि 'शोले' फिल्म के आखिरी सीन को रमेश सिप्पी ने पूरी तरह से अलग शूट किया था। 

खबरों के मुताबिक फिल्म के आखिरी सीन में दिखाया जाना था कि ठाकुर गब्बर को पैरों से मारता हुआ उसी जगह पर ले जाता है जहां पर गब्बर ने ठाकुर के हाथ काट दिए होते हैं। गब्बर को मारने के बाद ठाकुर जमीन पर गिर जाता है जिसके बाद वीरू ठाकुर को शॉल उढ़ा देता है। जिसके बाद ठाकुर और वीरू एक दूसरे को गले लगा लेते हैं। फिल्म के इस पूरे सीन को शूट करने के बाद रमेश सिप्पी को अलग तरह से आखिरी सीन शूट करना पड़ा था जिसकी वजह सेंसर बोर्ड का फैसला था। 

दरअसल, जिस वक्त 'शोले' फिल्म रिलीज हुई थी उस वक्त भारत में इमरजेंसी लगी हुई थी। ऐसे में सेंसर बोर्ड यह नहीं चाहता था कि फिल्म में दिखाया जाए कि पुलिस का पूर्व अफसर किसी अपराधी को खुद सजा दे। बोर्ड को ऐसा लगा था कि फिल्म में ऐसा दिखाए जाने से माहौल खराब हो सकता है जिसकी वजह से सिप्पी ने फिल्म के आखिरी सीन को दोबारा शूट किया। 

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