इंडस्ट्री की वेटरन एक्ट्रेस देविका रानी न सिर्फ एक्ट्रेस थीं बल्कि महिलाओं के लिए एक मिसाल भी थीं। देविका ने उस समय फिल्मों में एक्टिंग करने का फैसला लिया जिस वक्त महिलाओं को घर से निकलने तक नहीं दिया जाता था। उस वक्त तो उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पडा़ पर उन्होंने फिर भी परिवार के खिलाफ जा कर फिल्मों में काम किया। जानें उनसे जुडे़ कुछ अनसुने किस्से...
इंग्लैंड से की थी अभिनय की पढा़ई
आंध्रप्रदेश के वाल्टेयर नगर में 30 मार्च साल 1908 में जन्म लेने वाली एक्ट्रेस देविका रानी ने अपनी पढा़ई इंग्लैंड से पूरी की। उन्होंने अपनी पढा़ई इंग्लैंड के रॉयल अकादमी ऑफ ड्रामैटिक आर्ट से अभिनय की कलाओं को सीखने के लिए की । इसके बाद देविका ने वार्तुकला में भी डिप्लोमा किया।
इंग्लैंड से अपनी पढा़ई पूरी करने के बाद देविका भारत लौटते समय ये निश्चय करके आई थीं कि उन्हें अपना करियर फिल्मों में ही बनाना है। भारत लौटने के बाद देविका निर्माता बुस्त्र बुल्फ से मिलीं। बुस्त्र देविका के वास्तुकला के हुनर को देखकर उनके दीवाने हो गए। फिर बुस्त्र ने तुरंत ही देविका रानी को डिजाइनर के रूप में चुन लिया।
इंग्लैंड से अपनी पढा़ई पूरी करने के बाद देविका भारत लौटते समय ये निश्चय करके आई थीं कि उन्हें अपना करियर फिल्मों में ही बनाना है। भारत लौटने के बाद देविका निर्माता बुस्त्र बुल्फ से मिलीं। बुस्त्र देविका के वास्तुकला के हुनर को देखकर उनके दीवाने हो गए। फिर बुस्त्र ने तुरंत ही देविका रानी को डिजाइनर के रूप में चुन लिया।
दिया था पहला लंबा किसिंग सीन
बुस्त्र से मिलने के बाद देविका उस जमाने के प्रसिद्ध निर्माता हिमांशु राय से मिलीं। हिमांशु उनकी सुंदरता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी आगामी फिल्म कर्म के लिए देविका को बतौर अभिनेत्री फिल्म में कास्ट करने की ठान ली थी। देविका ने भी हिमांशु के इस ऑफर के लिए हां कह दी थी। देविका फिल्मों में काम ही तो करना चाहती थीं हलांकि उनका परिवार इस बात के खिलाफ था। फिल्म में देविका के अपोजिट एक्टर हिमांशु ही बने थे। फिल्म में दोनों के बीच काफी लंबी किसिंग सीन चला जो लगभग 4 मिनट का था।
फिल्म पर लगा प्रतिबंध तो इनसे कर ली शादी
देविका और हिमांशु के बीच जो पहला बॉलीवुड किसिंग सीन फिल्माया गया उसे भारतीय सिनेमा का पहला किसिंग सीन भी कहा जाता है। हलांकि ये फिल्म अंग्रेजी में बनी थी। फिल्म में चार मिनट का किसिंग सीन होने की वजह से फिल्म को बैन कर दिया गया था। फिल्म में किसिंग सीन उस वक्त दिखाया गया था जब महिलाओं को घर तक से निकलने की इजाजत नहीं हुआ करती थी। इस वजह से देविका की समाज में काफी बेइज्जती हुई। लोगों ने उनके बारे में बुरा भला कहना शुरु कर दिया। इन सब के बाद हिमांशु ने देविका से शादी कर ली और सब का मुंह बंद कर दिया।
इसके बाद आई कई फिल्मों में नजर
इस फिल्म के बाद देविका ने आलोचनाओं के चलते हार नहीं मानी और साल 1936 में रिलीज हुई फिल्म अछूत कन्या में अभिनय किया। इसके बाद साल 1937 में रिलीज हुई फिल्म जीवन में काम किया और फिर साल 1939 में आई फिल्म दुर्गा को भी अपने अभिनय से संवारा। इसके बाद देविका ने पति हिमांशु के साथ मिलकर कुछ अलग करने की सोची और दोनों ने बाद में मिलकर बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो की शुरुआत की। बॉम्बे टॉकीज ने न जाने कितने एकटर्स को उनके मुकाम तक पहुंचाया है। एक्टर अशोक कुमार, दिलीप कुमार, मधुबाला और राज कपूर जैसे सितारों का करियर बॉम्बे टॉकीज से ही परवान चढा़।
इसलिए मिला सम्मान
बाद में हिमांशु के निधन के बाद देविका का दिल अभिनय और बॉम्बे टॉकीज से हटने लगा। वो पति के गुजर जान के बाद अंदर से टूट गई थीं। बाद में उनकी मुलाकात एक रूसी चित्रकार से हुई थी जिसके साथ उन्होंने शादी कर ली और फिल्म जगत को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। फिल्म इंडस्ट्री को शिखर तक पहुंचाने के लिए उन्हें साल 1969 में भारत सरकार ने दाद साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया था। देविका फिल्म जगत की पहली महिला हैं जिन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया।
Source - Jagran
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