बॉलीवुड के स्टार एक्टर इरफान खान के लिए एनएसडी से पासआउट होने के बाद करियर के शुरुआती दिन काफी संघर्ष भरे थे. उन्हें फिल्मों की जगह टी.वी सीरियल में छोटे-मोटे रोल मिलने लगे और इस तरह से इरफान के करियर की शुरुआत बतौर जूनियर एक्टर हुई थी. इरफान कई हिंदी धारावाहिकों का हिस्सा रह चुके हैं जिनमें भारत एक खोज, स्पर्श और चंद्रकांता जैसे मशहूर सीरियल्स शामिल हैं. साल 1988 में मीरा नायर इरफान खान को फिल्म करने के लिए सेलेक्ट किया था. इस फिल्म में उनका बहुत ही छोटा पर महत्वपूर्ण रोल था लेकिन उनके रोल को एडिट भी किया गया था जिससे इरफान निराश हुए थे.
कई साल टीवी में काम करने के बाद इरफान टीवी सीरियल्स से काफी बोर हो गए थे. इरफान टीवी इंडस्ट्री की एक ही पैटर्न की एक्टिंग से उब चुके थे और चैलेंजिंग रोल्स की कमी के चलते एक्टिंग छोड़ने का मन भी बना चुके थे. इरफान के मन में कई बार ये ख्याल आता था कि वह सब कुछ छोड़ कर अपने घर वापस चले जाए और दूसरी तरफ उन्हें यह चिंता सताती रहती कि अगर वह वापस घर चले गए तो वह अपने परिवार को कैसे संभालेंगे.
2001 में वॉरियर साबित हुई थी टर्निंग प्वाइंट
हालांकि लगातार संघर्ष के बाद साल 2001 में आई ‘द वॉरियर’ फिल्म इरफान के करियर की टर्निंग प्वाइंट साबित हुई. इस फिल्म से उन्हें जबरदस्त पहचान मिली. ये एक ब्रिटिश फिल्म थी जिसका निर्देशन आसिफ कपाड़िया ने किया था. ये फिल्म अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भी प्रदर्शित की गई थी. इस फिल्म के बाद उन्होंने साल 2002 में फिल्म मकबूल से भी वाहवाही लूटी. वही साल 2004 में आई ‘हासिल’ फिल्म में इरफान को एक नेगेटिव किरदार में देखा गया था और इस किरदार के बाद ही वे अपने आपको इंडस्ट्री में स्थापित करने में कामयाब रहे थे.
Source - Aaj Tak