नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा और दंगों ने पूरे देश को हिला दिया है. आम लोगों से लेकर सेलेब्स तक इस घटना की निंदा कर रहे हैं. ऐसे दौर में नेटफ्लिक्स पर एक फिल्म काफी प्रासंगिक हो उठी है और इस फिल्म का कंटेंट ना केवल देश में सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देता है बल्कि साफ करता है कि एकता के सहारे और एक दूसरे के सपोर्ट के साथ विपरीत परिस्थितियों में भी देश के बाशिंदों द्वारा जबरदस्त सफलताएं हासिल की जा सकती है.
क्या है कहानी?
आसिफ मुंबई के निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आता है और अक्सर अपने दोस्तों के साथ डांस और मस्ती करता है. एक दिन अपने घर में टीवी पर वो नीशू को देखता है जो एक डांस अवॉर्ड जीतने में कामयाब हो गया है. नीशू एक टैक्सी ड्राइवर का बेटा है और एक आदर्श बेटे बनने और सीक्रेटली डांस के पैशन को पूरा करने के बीच उसकी जिंदगी जूझती रहती है. आसिफ और नीशू एक लोकल डांस स्कूल में मिलते हैं. दोनों शुरुआत में एक दूसरे को पसंद नहीं करते हैं लेकिन अमेरिकी डांस टीचर सॉल एरॉन के सानिध्य में दोनों लड़कों की जिंदगी बदल जाती है.
जिम सरभ के अलावा फिल्म में हैं कई नए सितारे
राइटर डायरेक्टर सूनी तारापोरेवाला ने इस फिल्म को लिखा और डायरेक्ट किया है. ये बैले फिल्म मुंबई के दो लड़के अमीरुद्दीन शाह और मनीष चौहान की जिंदगी पर आधारित है. इजरायली-अमेरिकी मेंटर येहूदा माओर, शाह और चौहान के मेंटर हैं. इस फिल्म के साथ ही 'लड़के बैले डांस नहीं कर सकते' वाला स्टीरियोटाइप भी ध्वस्त हो जाता है. फिल्म में जिम सार्ब के अलावा ज्यादातर कलाकार नए हैं और सभी ने उम्मीद के मुताबिक अच्छी स्क्रीन परफॉर्मेंस दी है.
फिल्म में कई ऐसे रेफरेंस हैं जो प्रतीकात्मक तौर पर सांप्रदायिक सौहार्द की बात करते हैं. मसलन मंदिर और ईसाइयों के एक धार्मिक स्थल को एक साथ दिखाना हो या अनुशासित लड़के के तौर पर नीशू अपने सामने दिखने वाले हर धार्मिक स्थल के आगे हाथ जोड़ना, नीशू के पिता भी इसी तरह हर धर्म की इज्जत करने वाले सामान्य शांत और सेक्युलर इंसान हैं.
वही इसके अलावा नीशू और आसिफ के बीच तनातनी होने पर एरॉन उन्हें समझाते हैं और मौजूदा दौर के राइट विंग दबदबे पर चुटकी लेते हुए कहते हैं कि वे अमेरिका और इजरायल जैसी जगहों पर रह चुके हैं और भारत को सांप्रदायिक माहौल और धुव्रीकरण की राजनीति से बचने की हरसंभव कोशिश करनी चाहिए और अगर आप टैलेंटेड हैं तो उसके सहारे नई ऊंचाईयां छूने की कोशिश करनी ही चाहिए. नीशू और आसिफ की कहानी एक बार फिर लोगों के सामने ये साफ कर देती है कि देश के लोग धर्म निरपेक्षता और शांति के सहारे दुनिया में तरक्की कर सकते हैं और अनेकता में एकता ही हिंदुस्तान की खूबसूरती है.
Source - Aaj Tak