फिल्म इंडस्ट्री में भूपेन हजारिका का नाम मशहूर सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर में शुमार था. उन्होंने कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार के रूप में भी जाना जाता था. भूपेन को कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया था, जिनमें पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार शामिल हैं. आज भूपेन की बर्थ एनिवर्सरी है. आइए उनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें जानते हैं.
भूपेन का जन्म असम में सदिया कस्बे में हुआ था. बचपन से ही उन्हें पढ़ाई के अलावा म्यूजिक और साहित्य का शौक था. उन्होंने अपनी मां से संगीत की शिक्षा ली. 11 वर्ष की उम्र में असम मे ऑल इंडिया रेडियो के लिए पहली बार गाना गाया. उसके अगले साल ही उन्हें असमिया फिल्म इन्द्रमालती में बाल कलाकार के रूप में एक्टिंग और गाने का मौका मिल गया.
इसके बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बीए और एमए की शिक्षा हासिल की. पढ़ाई के साथ संगीत के शौक के लिए वह गुवाहाटी रेडियो में काम करने लगे. उन दिनों उन्हें अमेरिका में मास कम्यूनिकेशन पर रिसर्च करने का प्रस्ताव मिला और उन्होंने कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया. 5 साल के अमेरिका प्रवास के दौरान उनकी मुलाकात अमेरिकी अश्वेत सिंगर पॉल राब्सन से हुई.
उन दिनों पॉल राब्सन का मिसीसिपी नदी पर लिखा गाना 'ओल्ड मैन रिवर' काफी पॉपुलर हुआ था. पॉल के सानिध्य में भूपेन ने उस गाने को बंगाल के शब्दों और संगीत में ढालकर एक अविस्मरणीय रचना तैयार की 'ओ गंगा बहिचे केनो' (ओ गंगा बहती हो क्यों).
1956 में भूपेन ने अपनी पहली असमिया फिल्म एरा बाटर सुर का निर्माण और निर्देशन किया. यह फिल्म सफल साबित हुई और उनका करियर आगे बढ़ने लगा. सिंगर के तौर पर हेमंत कुमार के संगीत निर्देशन में बंगाली फिल्म जीबॉन तृष्णा के लिए उनका गाया गाना 'सागर संगमे' बेहद लोकप्रिय हुआ. गुरुदत्त फिल्म के बैनर तले बनी फिल्म नैनो में दर्पण है और जब से तूने बंसी बजाई के गानों को संगीत दिया था जो आज भी सदाबहार बने हुए हैं.
Source - Aaj Tak