इन दिनों एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. करीब 37 साल पुराना वीडियो. इस वीडियो में अमिताभ बच्चन नज़र आ रहे हैं. वो अमिताभ बच्चन, जो मौत के मुंह से निकलकर किसी तरह अपने घर पहुंच रहे थे. 26 जुलाई, 1982 को फिल्म मनमोहन देसाई की फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग करते समय अमिताभ का एक्सीडेंट हो गया था. भले ही उस घटना के बाद पुनीत इस्सर नेशनल विलन बन गए. लेकिन अमिताभ को लगी उस चोट में उनकी भूमिका नहीं के बराबर थी.
हुआ ये था कि बंगलुरु से कुछ 16 किलोमीटर दूर फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग चल रही थी. पुनीत इस्सर के साथ एक फाइट सीन को फिल्माए जाने के दौरान अमिताभ बच्चन को उछलना था. उनकी वो जंप मिसटाइम हो गई. यानी एकाध सेकंड की जल्दी या देरी हुई और बच्चन गलत जगह लैंड कर गए. इस चक्कर में दो चीज़ें एक साथ हो गईं. पहली पुनीत इस्सर का जो मुक्का उनके पेट को सिर्फ छूने वाला था, वो ज़ोर से लग गया. और दूसरी, पास में पड़े टेबल के कोने से उनके पेट वाले हिस्से में गहरी चोट आ गई. इस घटना के बाद अमिताभ शूटिंग रोककर होटल चले गए. लेकिन जैसे-जैसे समय गुज़रने लगा उनकी तकलीफ बढ़ने लगी. कुछ ही घंटों में हालत ये हो गई कि उन्हें हॉस्पिटलाइज़ करवाना पड़ा. सबसे पहले उन्हें बैंगलोर के सेंट फिलोमेनाज़ हॉस्पिटल (St. Philomena’s Hospital) में एडमिट करवाया गया. लेकिन वहां से उन्हें तत्काल प्रभाव से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल लाया गया.
अमिताभ खुद बताते हैं कि अगले 8 दिनों में उनकी दो सर्जरी हुई. लेकिन उनके स्वास्थ में कोई बेहतरी नहीं आ रही थी. उनकी तबीयत इतनी बिगड़ गई कि डॉक्टरों ने उन्हें ऑलमोस्ट डेड मान लिया था. इस घटना के 33 साल बाद अपने चाहने वालों का शुक्रिया अदा करते हुए अमिताभ ने 2015 में इस एक्सीडेंट का ज़िक्र अपने ब्लॉग पर किया था. 2 अगस्त, 2015 को बच्चन ने लिखा-
”2 अगस्त, 1982 को ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में मेरे जीवन पर छाए बादल और गहरा गए. मैं जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहा था. कुछ ही दिनों के भीतर हुई दूसरी सर्जरी के बाद मैं लंबे समय तक होश में नहीं आया. जया को आईसीयू में ये कहकर भेजा गया कि इससे पहले कि उनकी मौत हो जाए अपने पति से आखिरी बार मिल लो. लेकिन डॉक्टर उदवाडिया ने एक आखिरी कोशिश की. उन्होंने एक के बाद एक कई कॉर्टिसन इंजेक्शन लगाए. इसके बाद मानो कोई चमत्कार हो गया, मेरे पैर का अंगूठा हिला. ये चीज़ सबसे पहले जया ने देखी और चिल्लाईं- ‘देखो, वो ज़िंदा हैं’. ”
अमिताभ होश में तो आ गए, लेकिन उन्हें अपने घर पहुंचने में और दो महीने का समय लग गया. वो 24 सितंबर, 1982 को एंबैसेडर कार में अपने घर पहुंचे. बच्चन बताते हैं कि वो उनके जीवन का पहला मौका था, जब उन्होंने अपने पिता डॉ. हरिवंश राय बच्चन को रोते देखा था. अपने बेटे को मौत के मुंह से वापस आते देख हरिवंश राय बच्चन अपने आंसू रोक नहीं पाए. और गाड़ी से उतरते ही अमिताभ जाकर अपने रोते पिता से चिपट गए. वो असल मायनों में पहली जादू की झप्पी थी. आप जो वीडियो नीचे देखने जा रहे हैं, वो उसी घर वापसी का है. साथ ही अमिताभ ने इसमें उन सभी लोगों के प्रति आभार जताया, जिन्होंने उनकी बेहतरी के लिए प्रार्थना की. ये वीडियो अमिताभ बच्चन के पक्के वाले फैन मोजेज़ सपीर ने शेयर किया है