17 Jan 2020

देवदास की वो एक्ट्रेस जिनकी पहली फिल्म कभी नहीं हुई रिलीज, निभाया था ये किरदार



आज बॉलीवुड की एक ऐसी एक्ट्रेस की पुण्यतिथि है जिन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बुलंदियों को छुआ... दर्शकों के दिलों पर राज किया और एक दौर में सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वाली एक्ट्रेस थीं. हम बात कर रहे हैं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की जानी-मानी एक्ट्रेस सुचित्रा सेन की.

सुचित्रा सेन ने बांग्ला फिल्मों से एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. साल 1952 में बनी 'शेष कोथा' उनकी पहली फिल्म थी, ये एक बांग्ला फिल्म थी, लेकिन यह फिल्म कभी रिलीज नहीं हो सकी. बड़ी एक्ट्रेस बनने का सपना लेकर फिल्म इंडस्ट्री में आईं सुचित्रा ने हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करती रहीं. इसके बाद उन्होंने फिल्म सात नंबर कैदी में काम किया, बाद में और भी कई फिल्में आईं.

दिलीप कुमार के साथ की थी पहली हिंदी फिल्म

सुचित्रा सेन के करियर में मील का पत्थर साबित हुई साल 1955 में आई हिंदी फिल्म देवदास. ये सुचित्रा की पहली हिंदी फिल्म थी. अपनी पहली ही हिंदी फिल्म में सुचित्रा को महानायक दिलीप कुमार के साथ काम करने का मौका मिला. फिल्म में सुचित्रा लीड रोल में थीं और दिलीप कुमार के सामने वह पार्वती यानी पारो के किरदार में नजर आई थीं. फिल्म की कहानी शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित थी, दर्शकों को ये कहानी पर्दे पर और भी अच्छी लगी. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म हिट साबित हुई और सुचित्रा रातों-रात सुर्खियों में आ गईं. इसके बाद उनका हिंदी फिल्मों में भी करियर चल पड़ा और उन्होंने कई हिट हिंदी फिल्मों में काम किया.

1962 में सुचित्रा सेन एक बार फिर चर्चा में आईं, जब अपनी लगातार हिट फिल्मों के बाद उन्हें साल 1962 में एक फिल्म के लिए हीरो से ज्यादा पैसे मिले. रिपोर्ट्स की मानें तो 1962 की फिल्म बिपाशा में काम करने के लिए सुचित्रा सेन को एक लाख रुपए मिले थे जब कि हीरो उत्तम कुमार को सिर्फ अस्सी हजार रुपए दिए गए थे.

अभिनेत्रियां जिन फिल्म निर्माताओं के साथ काम करने को उतावली रहती थीं. उन फिल्मकारों के ऑफर सुचित्रा ठुकरा दिया करती थीं. कहा जाता है कि राज कपूर ने सुचित्रा सेन को एक फिल्म ऑफर की थी, लेकिन उन्होंने ये प्रस्ताव ठुकरा दिया था क्योंकि उन्हें राज साहब का झुककर फूल देने का अंदाज पसंद नहीं आया था. 17 जनवरी 2014 में सुचित्रा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. उनका निधन कोलकाता में हुआ, लेकिन आज भी फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान को याद किया जाता है.

Source  - Aaj Tak 

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